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Showing posts from June, 2019

हमारे तो एक प्रभु हैं...

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  बड़े भाग मानुष तन पावा। मनुष्य शरीर बड़े भाग्य से मिलता है,भगवान की कृपा से मिलता है।इसलिए यह शरीर भगवान के लिए है।उनको प्राप्त करने के लिए है। वास्तव में एक मेरे प्रभु श्री सीताराम जी के अलावा और किसी की सत्ता है ही नहीं।आप विचार करके देखें,ये शरीर,ये संसार मिटनेवाला है,निरंतर मिट रहा है। जब हम मां के पेट से पैदा हुए थे,उस समय इस शरीर की क्या अवस्था थी और आज जब देखते हैं तो इसकी कैसी अवस्था है। ये संसार,ये शरीर पूर्व में जैसा था आज वैसा नहीं है और आज जैसा है,भविष्य में ऐसा नहीं रहेगा।यह निरंतर बदलने वाला है,बदल रहा है।लेकिन जो कभी नहीं बदलता सदा एकरूप बना रहता है वह केवल भगवद तत्व है,परमात्म तत्व है। हमारे प्रभु सीताराम जी निरंतर रहने वाले हैं और यह संसार  छूटनेवाला है। इसलिए हमें चाहिए कि हम दृढ़ता से यह मान लें कि प्रभु हमारे हैं और हम प्रभु के हैं।जैसे छोटा सा बालक कहता है कि मां मेरी है।कोई उससे पूछे कि बता मां तेरी क्यों है।तो इसका उत्तर उसके पास नहीं है।उसके मन में कोई शंका,कोई संदेह नहीं हैं। मां उसकी है, बस।फिर चाहे आप कुछ भी कहें, उसके लिए आपकी कोई बात महत्व ...

गुरुदेव की महिमा

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 जे गुरु चरण रेनु सिर धरहीं l ते जनु सकल बिभव बस करहीं ll   मोहि सम यहु अनुभयउ न दूजें l सबु पायउँ रज पावनि पूजें ll भगवान् राम के पिता दशरथ जी अपने गुरुदेव वशिष्ठ जी से कहते हैं , जो लोग गुरुदेव के चरणकमलों की रज को अपने मस्तकपर धारण करते हैं , वे लोग समस्त ऐश्वर्यों को अपने वश में कर लेते हैं , आगे दशरथ जी कहते हैं कि गुरुेदेव मेरे समान इसका अनुभव किसी ने नहीं किया , आपके चरण रज की पूजा करके मैने सब कुछ पा लिया l मंगल के मूल रामजी जिनके पुत्र हों उनके लिए जो कुछ भी कहा जाये सब थोड़ा है l   " मंगल मूल रामु सुत जासू l जो कछु कहिअ थोर सबु तासू  ll " सत्य है , तीनो भुवनों में (  पृथ्वी , आकाश ,  पाताल )  और तीनो कालों  (  भूत , भविष्य , वर्तमान  )  में दशरथ जी के समान कोई बड़भागी नहीं है   " तिभुवन तीनि काल जग माहीं  l   भूरिभाग दशरथ सम नहीं  ll "    पुत्र के रूप  में रामजी को पा कर दशरथ जी धन्य हो गए , मानो रिद्धि -  सिद्ध...

संघर्ष करो

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संघर्ष किसके जीवन में नहीं होता , हर किसी के जीवन में संघर्ष है , जो जितना बड़ा है उसका संघर्ष भी उतना ही बड़ा है , कोई व्यक्ति बड़ा या छोटा नहीं होता उसका संघर्ष बड़ा या छोटा होता है , आज जितने भी लोग कामयाब ,यहाँ पर आप को दिखाई पड रहें हैं , वास्तव में वे लोग कामयाब नहीं हैं , कामयाब है उनका संघर्ष , उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण , अपने लक्ष्य को पाने में लगा दिया  , वे एक बार नहीं कई  बार गिरे लेकिन उन लोगो ने अपने माथे पर हार की लकीर खिचने नहीं दी , ऐसा जूनून ही उनकी सफलता का कारक  है , सफलता हर कोई पा सकता है लेकिन उस सफलता को पाने के लिए जो जूनून है वह हर कोई नहीं रखता और जो रखता है , फिर उसे कोई रोक नहीं सकता l इसलिए कुछ पाना है , अच्छी बात है आप पा सकते हैं , लेकिन कुछ पाने से अधिक , उसको पाने का जूनून है और यदि वह आप के पास है , तो आगे बढ़ें और पा लें जो आप पाना चाहते हैं l  क्या कोई चाहता है कि वह असफल हो ? नहीं , कोई नहीं चाहता लेकिन क्या कोई वास्तव में सफल होना चाहता है , क्यों की सफल तो हर कोई होना चाहता है  लेकिन वास्तव में सफल बह...
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