प्राय हम सब भोजन करते है , जब हम माँ से पूँछते हैं की माँ आज भोजन में क्या बनाया है ,मान लीजिये माँ ने आलू बनाया है ,तो माँ कहती है ,की बेटा आज आलू बनाया है l अब आप ये बताओ की माँ ने आलू बनाया है ,या आलू का साग बनाया है l सत्य तो यह है की माँ ने आलू नहीं आलू का साग बनाया है ,आलू तो बनाने वाले ने ही बनाया है l अच्छा अगर आलू बनाने वाले ने आलू न बनाया होता तो हम साग किस का बनाते और एक बात , आलू पहले बना की साग ,आलू पहले बना ,साग बाद में बना ,तो साग बनाने वाले की महिमा तो है ,लेकिन आलू बनाने वाला भी तो होगा उसने यदि आलू ही न बनाया होता तो साग बनाने वाले ने क्या बनाया होता l हमे तो लगता है की आज तक किसी गुरु ने ऐसा चेला नहीं बनाया होगा जिसे पहले भगवान् ने न बनाया हो l तो जीवन पहले मिला ,जन्म पहले मिला ,उसी तरह भगवान् ने पहले बनाया आलू ,इसलिए उनको प्रणाम l
परन्तु गुरुदेव की महिमा भगवान् से भी अधिक क्यों l सत्य तो यही है की आलू बनाने वाले से साग बनाने वाले की महिमा अधिक है l इसलिए है की आलू जब बना तो मट्टी मे सना , ऐसे ही पड़ा था, कोई परवाह ही नहीं करता था ,फेक दो उधर पड़ा रहेगा किसी कोने में , किन्तु जब यह आलू माँ के हाथ लगा , तो माँ ने सब से पहले पानी से धुलाई शुरू की , सब मट्टी दूर की और फिर पानी में पड़ा रहने दिया जब मुलायम हो गाया , तो छिलका हटाया फिर उसके टुकड़े किये फिर एक साफ सुथरे बर्तन में जल भर कर आग के ऊपर रख दिया , घी ,तेल ,मिर्च ,मसाला उचित मात्रा में मिला कर ऐसा स्वादिस्ट साग बनाया ,की जिस आलू को कोई नहीं पूछ रहा था ,उसका साग सभी माँगने लगे l
आलू में कोई स्वाद नहीं था लेकिन जब उसी आलू का साग बना दिया गया ,तो जो आलू बेस्वाद था वही आलू स्वादिस्ट बन गया l इसी तरह परमात्मा ने जीवन तो दिया पर इसमें कोई स्वाद नहीं था , जब सतगुरु ने शिष्य बना कर ज्ञान ,वैराग्य ,भक्ति से भर दिया तो इसमें स्वाद आगया और जब स्वाद आगया तो सब माँगने लगे l तो आलू बनाने वाले से साग बनाने वाले की महिमा अधिक है l इसलिए भगवान् से अधिक गुरुदेव की महिमा है l परन्तु इसका यह अर्थ नहीं की भगवान् हैं ही नहीं ,साग बनाने वाले की महिमा तो है ,पर आलू बनाने वाला भी है l
अभिमान रहित होकर गुरुदेव के चरण कमलों की सेवा जो भी करता है ,भगवान कहते है की वह हमारी ही सेवा करता है ,हमारी ही भक्ति करता है l
गुरु पद पंकज सेवा , तीसरी भगति अमान l
----------------जय श्री सीताराम --------------
Plzz comment
Satya Bachan
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