मनुष्य शरीर में असीम शक्तियां विद्यमान हैं , जिसके तनिक उपयोग से ही मनुष्य अपने सभी क्रिया - कलाप करता है l इस अपार शक्ति भंडार को समझने की आवश्यकता है l वास्तव में मनुष्य शरीर के भीतर जो विकार हैं , जैसे आलस , काम , क्रोध यह सब विकार तो हैं किन्तु बेकार नहीं , यही वो अद्भुत शक्तियां है जो हमे हमारे लक्ष्य तक पहुँचा सकती है , केवल हमे इनका रूपांतरण करना है, फिर यही विकार हमारे लिए प्रसाद बन जायेंगे l हम अपनी ऊर्जा इन्ही विकारों के माध्यम से व्यर्थ ही खर्च कर देते हैं , यदि हम ये समझ जाएँ की यह विकार तो हैं किन्तु बेकार नहीं , तो हम इन विकारों की शक्तियों को रूपांतरित कर अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँच सकते हैं l विचार करिये ,की यदि ये विकार बेकार होते , तो परमात्मा हमे ये विकार देते ही क्यों l
आटे की रोटी बनती है , रोटी से पेट भरता है , घर चलता है , लेकिन आटे से पेट नहीं भरता l अब कोई आटा कनस्तर भरे धरे रहे और भूखा हो , भूख लगे आटा फाँक ले , फाँक ते ही उगल दे , फिर फाँकाए फिर उगल दे , सोचे ये क्या दे दिया l दिया तो सही है ,लेकिन हमे आटे की रोटी बनानी नहीं आरही है , और मैं आप से कहता हूँ , इसी तरह हमे काम दिया है , भूख लगने पर बार - बार वासना के कारण , यहाँ - वहाँ मुँह मारते हैं ,लेकिन तृप्ति कभी नहीं मिलती और यदि इस काम रूपी आटे की प्रेम रूपी रोटी बना लें तो ज़िन्दगी सदा के लिए तृप्त हो जाये l
हमे विकारों को रोकना नहीं है , बस उनका रूपांतरण कर देना है , काम को राम से जोड़ देना है l ' जहाँ काम तहँ राम नहीं ' जहाँ काम होगा वहाँ राम नहीं होंगे और 'जहाँ राम तहँ काम नहीं ' एक बार जहँ राम आजायेंगे वहाँ काम आही नहीं सकता l
जगत का आवलंबन ले कर जगदीश्वर तक पहुँचा जा सकता है , वो मुर्ख हैं , जो यह कहते हैं की संसार बंधन का कारण है , वास्तव में तो संसार मुक्ति के लिए ही है l इसलिए अपने विकारों का रूपांतरण , प्रभु के नाम का आवलंबन लेकर करें , फिर यही ऊर्जा आप को आपने लक्ष्य तक पहुँचा देगी l
मात्र ऊर्जा होने से कुछ नहीं होता , ऊर्जा को दिशा भी देना होता है , आप कितनी भी विद्युत का उत्पादन करलें , लेकिन जब तक उस ऊर्जा को दिशा नहीं देंगे वह आपना कार्य नहीं कर पायेगी l ऐसी ऊर्जा का होना भी न होने के बराबर है l इसलिए मात्र ऊर्जा होने से कुछ नहीं होता , ऊर्जा को सही दिशा भी देनी होती है l
अपने शरीर में विद्यमान ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए , अपने दिनचर्या में हम सब को बदलाव करने की आवशकता है , ऊर्जा का उत्पादन भोजन से होता है , इसलिए शुद्ध भोजन सात्विक भोजन करना भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है l समय आगया है की आप अपने भीतर व्याप्त , व्यापक ऊर्जा को रूपांतरित कर , उसे सही दिशा प्रदान करें l
------------------------------जय श्री सीताराम -----------------------
Very nice
ReplyDeleteBahut sundar
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