विश्वास क्या है ? अगर इस शब्द की महिमा को हम समझ जाएँ तो जीवन में जो परिवर्तन होगा , वो आश्चर्य जनक होगा l विश्वास मात्र एक शब्द नहीं है , इसमें जीवन का वो अमृत रस छुपा है , जिसके पान से मनुष्य इस भवसागर से पार हो सकता है , अपने बड़े से बड़े लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर सकता है l अगर हम ध्यान दें तो हमे पता चलेगा की ये शब्द ' विश्वास ' दो शब्दों का अद्भुत मिश्रण है और वो शब्द हैं ' विष ' और ' श्वास ' अर्थात जो विष को भी श्वास प्रदान कर दे उसे कहते हैं , विश्वास l आप ऐसे समझिये , कोई व्यक्ति वीराने में दौड़ लगा रहा हो , दौड़ते - दौड़ते वह गिर जाये ,पास कोई न हो उसकी सहायता के लिए , अब वह सोचे की मैं घर कैसे जाऊं , मुझे कौन सहारा देगा और उसी समय उसे दो डंडा मिल जाये जिसके सहारे से उठ कर वह चल सके और घर तक पहुँच सके , तो उस व्यक्ति के लिए विश्वास वह डंडा है , जिसने उस चोट खाये व्यक्ति को उसके घर तक पहुँचा दिया l यही विश्वास है l
संसार में कुछ भी पाना हो , तो सब से पहला सूत्र यही है कि आप को जो भी पाना है , उसपर आप को पूर्ण विश्वास होना अति आवश्यक है , क्यों की विश्वास से ही प्रेम का जन्म होता है l जब तक आप अपने कार्य पर 'विश्वास ' नहीं करते , तब तक उस कार्य के प्रति आप के मन में 'प्रेम' उत्पन्न होना मुश्किल है और यदि अपने कार्य के प्रति आप का प्रेम नहीं होगा , तो आप का मन अपने कार्य में कभी भी नहीं लग पायेगा l इसलिए किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए , उस पर विश्वास होना बहुत ही आवश्यक है l
चाहे वह लौकिक लक्ष्य हो , या पार लौकिक दोनों को प्राप्त करने के लिए उसपर विश्वास होना सब से ज़रूरी है l मित्रों विश्वास से आप कुछ भी पा सकते है, कुछ भी , विश्वास से सरल मार्ग और कोई नहीं l भगवान् को भी पाने का सब से सरल मार्ग विश्वास ही है , ऐसा भगवान् स्वयं कहते हैं l क्यों की विश्वास से प्रेम का , प्रेम से भाव का और भाव से ही भगवान् का जन्म होता है l तो भगवान् के प्रति भी मन में भाव को उत्पन्न करने के लिया हमे विश्वास को सब से पहले अपने जीवन में लाना होगा l
जाकी रही भावना जैसी l प्रभु मूरत देखि तिन्ह तैसी l
तो जिसकी जैसी भावना होगी वो भगवान् को उसी रूप में देखेगा , किन्तु भावना कैसी होगी ये आप के विश्वास पर निर्भर होगा की आप का विश्वास कैसा है l
मित्रों इसलिए हम सब को विश्वास करना चाहिए , क्यों की जब हम विश्वास करेंगे तो जीवन में 'विष' के रूप में जितने भी दुःख हैं ,सब को सुख का 'श्वास ' मिल जायेगा , शांति का 'श्वास ' मिल जायेगा और हम आनंद से भर जायेंगे , अपने परम लक्ष्य को पा जायेंगे l
-----------------------जय श्री सीताराम ----------------
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