हमारे तो एक प्रभु हैं...
बड़े भाग मानुष तन पावा। मनुष्य शरीर बड़े भाग्य से मिलता है,भगवान की कृपा से मिलता है।इसलिए यह शरीर भगवान के लिए है।उनको प्राप्त करने के लिए है। वास्तव में एक मेरे प्रभु श्री सीताराम जी के अलावा और किसी की सत्ता है ही नहीं।आप विचार करके देखें,ये शरीर,ये संसार मिटनेवाला है,निरंतर मिट रहा है। जब हम मां के पेट से पैदा हुए थे,उस समय इस शरीर की क्या अवस्था थी और आज जब देखते हैं तो इसकी कैसी अवस्था है। ये संसार,ये शरीर पूर्व में जैसा था आज वैसा नहीं है और आज जैसा है,भविष्य में ऐसा नहीं रहेगा।यह निरंतर बदलने वाला है,बदल रहा है।लेकिन जो कभी नहीं बदलता सदा एकरूप बना रहता है वह केवल भगवद तत्व है,परमात्म तत्व है। हमारे प्रभु सीताराम जी निरंतर रहने वाले हैं और यह संसार छूटनेवाला है। इसलिए हमें चाहिए कि हम दृढ़ता से यह मान लें कि प्रभु हमारे हैं और हम प्रभु के हैं।जैसे छोटा सा बालक कहता है कि मां मेरी है।कोई उससे पूछे कि बता मां तेरी क्यों है।तो इसका उत्तर उसके पास नहीं है।उसके मन में कोई शंका,कोई संदेह नहीं हैं। मां उसकी है, बस।फिर चाहे आप कुछ भी कहें, उसके लिए आपकी कोई बात महत्व ...

सत्य 💯
ReplyDeleteसत्य100%
ReplyDeleteधर्म की सही परिभाषा अगर लोगों के समझ में आ जाए सिद्धार्थ जी , तो देश में निरंतर धर्म का सहारा लेकर जो हमले हो रहे है वह न होगा ,दुराचारी व्यक्ति ,सताधारी व्यक्ति धर्म का सहारा लेकर ही अपनी जेब भरते है
ReplyDeleteआप जैसे व्यक्ति अगर अपनी इसी विस्तारवादी विचार को विभिन्न लोगों तक पहुंचाए तो देश में जल्दी ही सर्व धर्म सम भाव की विचारधारा लोगों के भीतर फैलेगी और राष्ट्र की ही नहीं अपितु सारे देश की उन्नति होगी जो अस्त्रं शस्त्र चल रहे है वह रुक जाएगी . देश एक बार फिर नए पड़ाव की ओर अग्रसर होगा ।आप अपनी इसी विचारधारा को कायम रखे और अनेक संपर्क के माध्यमों द्वारा लोगों तक अपनी विचारों को पहुचाए यही मेरी कामना है आप से
आपका का धन्यवाद
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